जिहालातो के अंधेरे मिटा के लौट आया |
मै आज साडी किताबे जलाके लौट आया |
वो अब भी बैठी सिसककर रही होगी |
मै अपना हाथ हवा में हिलाकर लौट आया |
ख़बर मिली है की सोना निकल रहा है वहा
मै जिस जमीं पे ठोकर लगाके आया |
Wednesday 26 November, 2008
राहत इन्दोरी -2
उम्मीदवार मई भी हु - 2
नवाजो सिर्फ़ मुजे मेहरबानी फरमाकर |
और वादा करता हु एक एक से कसम खाकर |
के पाँच साल से पहले यहाँ कभी आकर |
बनूँगा बाही जे जहमत न मै किसी के लिए |
उम्मीदवार मई भी हु
मै बेकरार हु मुद्दत से मेम्बरी के लिए
टिकेट मूज़े भी दिला दो अस्सेंब्ली के लिए
टिकेट के बात से गैरत भी बेच सकता हु |
मै खानदान की इज्ज़त भी बेच सकता हु |
बीके तो अपनी शराफत भी बेच सकता हु |
मुजे सुकून है डरकर जिंदगी के लिए |
पॉपुलर मेरठी - 5
एक कणकटे का आज ये एलन ऐ आम है
नेता है हम हमारा तो कुर्बानी काम है
नेता का दावा सुनके मई ये सोचने लगा
कुर्बानी कणकटे की तो हराम है
Subscribe to:
Posts (Atom)