Friday 30 January, 2009

ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से

ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से
देखो बादल कहाँ आज बरसे।

फिर हुईं धड़कनें तेज़ दिल की
फिर वो गुज़रे हैं शायद इधर से।

मैं हर एक हाल में आपका हूँ
आप देखें मुझे जिस नज़र से।

ज़िन्दग़ी वो सम्भल ना सकेगी
गिर गई जो तुम्हारी नज़र से।

बिजलियों की तवाजों में ‘बेकल’
आशियाना बनाओ शहर से।

Thursday 29 January, 2009

Shayri........

1)

Tere Pyaar Mein Paagal Ho Gaya Peter ...

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Waah! Waah!

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Tere Pyaar Mein Paagal Ho Gaya Peter ...

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Waah! Waah!

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Ab Hero Honda Splendor, 80 km Prati Litre .. !!

2)

Bahaar Aane Se Pehle Fizaa Aa Gayii ...

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Waah! Waah!

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Bahaar Aane Se Pehle Fizaa Aa Gayii ...

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Waah! Waah!

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Phool Ko Khilne Se Pehle Bakri Kha Gayii .. !!

3)

Aatma Chhod Gayii Shareer Puraana ...

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Waah! Waah!

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Aatma Chhod Gayii Shareer Puraana ...

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Waah! Waah!

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Didi Tera Devar Deewana .. !!

4)

Saap Ne Piya Bakri Ka Khoon ...

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Waah! Waah!

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Saap Ne Piya Bakri Ka Khoon ...

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Waah! Waah!

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Good Afternoon! Good Afternoon! Good Afternoon!!

5)

Yashomati Maiyya Se Bole Nandlala ...

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Yashomati Maiyya Se Bole Nandlala ...

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"Maa, Tata Sky Laga Daala To Life Jhingalala ..!!"

6)

Hoton Pe "Haan" Hai ...

Dil Mein "Naa" Hain ...

Hoton Pe "Haan" Hai ...

Dil Mein "Naa" Hain ...

Shashi Kapoor Kehta Hai: "Mere Paas Maa Hai ..."

Friday 23 January, 2009

Rahat Indori Live in Mushaira

Thursday 4 December, 2008

राहत इन्दोरी - 3

अपनी पहचान मिटने को कहा जाता है.
बस्तिया छोड़ के जाने को कहा जाता है
पत्तिया रोज़ गिरा जाती है जहरीली हवा
और हमें पेड़ लगाने को कहा जाता है
कोई मौसम हो दुःख सुख में गुजरा कौन करता है |
परिंदों की तरह सबकुछ गवारा कौन करता है |
घरो की राख फिर देखेंगे पहले ये देखना है,
घरों को फूंक देने का इशारा कौन करता |
जिसे दुनिया कहा जाता है कोठे की तवाइफ़ है |
इशारा किसको करती है, नजारा कौन करता है |

Wednesday 26 November, 2008

राहत इन्दोरी -2

जिहालातो के अंधेरे मिटा के लौट आया |

मै आज साडी किताबे जलाके लौट आया |

वो अब भी बैठी सिसककर रही होगी |

मै अपना हाथ हवा में हिलाकर लौट आया |

ख़बर मिली है की सोना निकल रहा है वहा

मै जिस जमीं पे ठोकर लगाके आया |

उम्मीदवार मई भी हु - 2


नवाजो सिर्फ़ मुजे मेहरबानी फरमाकर |


और वादा करता हु एक एक से कसम खाकर |

के पाँच साल से पहले यहाँ कभी आकर |


बनूँगा बाही जे जहमत न मै किसी के लिए |

उम्मीदवार मई भी हु


मै बेकरार हु मुद्दत से मेम्बरी के लिए


टिकेट मूज़े भी दिला दो अस्सेंब्ली के लिए



टिकेट के बात से गैरत भी बेच सकता हु |


मै खानदान की इज्ज़त भी बेच सकता हु |


बीके तो अपनी शराफत भी बेच सकता हु |


मुजे सुकून है डरकर जिंदगी के लिए |

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