जीव के कुछ पलों को खूबसूरत बनाया है संगीत, गीत , कविताये, पद्य, गज़ले, नृत्य वाद्य और इन सब में निपुण कलाकाराने। इस ब्लॉग द्वारा मै उन, सब पलों को याद करना चाहता हु और उन सबको धन्यवाद् देना चाहता हु जिन्होंने इस जीवन को ख़ूबसूरत बनाया है |
अपनी पहचान मिटने को कहा जाता है. बस्तिया छोड़ के जाने को कहा जाता है पत्तिया रोज़ गिरा जाती है जहरीली हवा और हमें पेड़ लगाने को कहा जाता है कोई मौसम हो दुःख सुख में गुजरा कौन करता है | परिंदों की तरह सबकुछ गवारा कौन करता है | घरो की राख फिर देखेंगे पहले ये देखना है, घरों को फूंक देने का इशारा कौन करता | जिसे दुनिया कहा जाता है कोठे की तवाइफ़ है | इशारा किसको करती है, नजारा कौन करता है |