एक बार हमे करनी पड़ी रेल की यात्रा
देख सवारियों की मात्रा
पसीने लगे छुटने
हम घर की तरफ़ लगे फूटने
इतने में एक कुली आया
ओर हमसे फ़रमाया
साब अन्दर जाना है?
हमने कहा हां भाई जाना है
उसने कहा अन्दर तो पंहुचा दूंगा
पर रुपये पुरे पचास लूँगा
हमने कहा समान नही केवल हम है
तोह उसने कहा क्या आप किसी समान से कम है ?
जैसे तैसे डिब्बे के अन्दर पहुचे
यहाँ का दृश्य तो ओर भी घमासान था
पुरा का पुर डिब्बा अपने आप में एक हिंदुस्तान था
कोई सीट पर बैठा था, कोई खड़ा था
जिसे खड़े होने की भी जगह नह मिली ओह सीट के निचे पड़ा था
इतने में एक बोरा उछालकर आया ओर गंजे के सर से टकराया
गूंजा चिल्लाया यह किसका बोरा है ?
बाजु वाला बोला इसमे तो बारह साल का चोर है
तभी कुछ आवाज़ हुई ओर
इतने मैं एक बोला चली चली
दूसरा बोला या अली …
हमने कहा कहे की अली कहे की बलि
ट्रेन तोह बगल वाली चली ….
Wednesday 16 July, 2008
भारतीय रेल
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